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Showing posts from February, 2015

माफीनामा

में बहोत थक चूका हु, अब बर्दास्त नहीं होता. तुम ये मत समजना के तुम्हारी वजह से ये सब लिख रहा हु. नहीं. मेने पहले भी कहा था के ये मेरी समस्या है और मेरी ही रहगी. हा , पर अब तक ये समस्या, जो मुझे आज से पहले समस्या नहीं लगी है वो मुझे दिक्कत दे रही है. पता नहीं लेकिन पिछेले कुछ दिनों से वो समस्या लग रही है. (शायद ये सुन के तुमको ख़ुशी भी हो ) पता नहीं पर एसा लगा रहा है मे जिन्दा नहीं हु , मेरे जिन्दा होने का एहसास में खो रहा हु. सिर्फ साँस लेना ही जिंदा होना नहीं है. ये बात तो में कुछ साल पहले वेंटिलेटर नाम के एक मशीन ने सिखा दी थी. खेर वहा नहीं जाते. दिक्कत ये है की अब थकान रहती है थोड़ीसी. ये इंतज़ार की वजह से नहीं. और ना ही एसी कोई उम्मीद जाग गई है के जिसके कारन तुम्हे  डर/दुविधा/चिंता एसा कुछ भी हो. पर तेरे न होने की कमी खुछ ज्यादा ही खलती है.  हां मुझे पता है तुम एसी ही हो. शिकायत नहीं कर रहा , हमारे रिश्ते में इसकी गुंजाईश नहीं है. रिश्ता ? हां रिश्ता. कभी कभी हम अपनी पसंद की जगह पर चाय या कोफ़ी के लिए जाते है और जिस टेबल पे हम रोज बैठते है , उस पर एक दिन कोई बै