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Showing posts from December, 2012

मोत

एक इंसान की मोत पूरे परिवार से जिंदगी छीन लेती है संफेद रंग में लिप्टा, काला अंधेरा घर की छत बनता है और ज़मीन तो कब की पैरों तले से खिसक चुकी होती है उस वक्त तुम न धरती पे होते हो आसमान में करोडो में सही लेकिन तुमने अपनी सांसो की गिनती शुरू कर दी होती है भावना और वास्विकता, सायन्स और श्रध्दा के बिच में लटके रहेते हो . प्यार , भावना, सवेदना इन सब शब्दों से भरोसा उठ जाता है अगर कोइ अपना लगता है तो वो होता है दर्द , दर्द, की जो अनंत होता है ,जो तुम्हे जड़ बना देता है , अब , सवाल ये उठता है के,   क्या इसके बाद भी तुम सच में जिंदा हो ? एक इंसान की मोत पूरे परिवार से जिंदगी छीन लेती है.