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Showing posts from September, 2011

मेरी महोब्बत उम्मीद से थी

एक ख़त भेजा था तुजे  मेरी महोब्बत उम्मीद से थी  डॉक्टर ने कहा उसे बचाने को तुजे बोलना होगा  पर दर्द इतना था मेरी महोब्बत का के बोल न पाया  कलम की सिगरेट बना के कागस पर धुआ छोड़ दिया  बड़ी मुश्किल से पता मिला उसका  जिसको मेरी महोब्बत भेजनी थी  गुलाबी रंग के लिफाफे में डाल के बड़ी सोच के बाद पोस्ट किया उसे  मेरी महोब्बत उम्मीद से थी  उसके अन्दर पल रहे जस्बात अब कभी कभी लात मार के मुझे हँसा देते थे  गुमने फिर ने में दिक्कत होने लगी  अब तो शारीर भी बोलने लगा था  मेरी महोबत उम्मीद से थी  आज एक गुलबी लिफाफा मुझे मिला , पर उसके पीछे मेरा पता लिखा था ......... आज फिर कमियाबी के लिफाफे में नाकामयाबी आई. मेरी महोब्बत का miscarriage हुआ है  मेरी महोब्बत उम्मीद से थी

ख़ामोशी

नजाने कोन सी ख़ामोशी है ये जो घर कर गई है , जमाना बीत गया, ट्रामे बस अब मेट्रो बन गई है , बड़ी सो balcony के सामने बड़ा बगीचा तो हम ने अब फिल्मो के लिए छोड़ दिया  है एक कटघरे में लगे २-४ गमलो से अपनी वादियाँ बनाली है हम ने पर ये ख़ामोशी तब भी थी और अब भी है बस शोर में कुछ घेहरी हो गई ये नजाने कोन सी  ख़ामोशी है जो घर कर गई है ......... उम्र जब जवान थी शायद तब वो नहीं थी या शायद थी? बगेर इस के लगता था की कुछ बाकि है मुजमे और इसके आने के बाद रहा ही नहीं है कुछ सिवाय उसके जब उस रात तुम आई  बारिश रुक चुकी थी एक अजीब सा सन्नटा था वहा पे पर तुम्हारी आवज में सुन नहीं पा रहा था शायद तुम कुछ बोली थी .?? मेरी सिसकियो की आहट में  तुम खामोश थी....... न जाने ये कोनसी ख़ामोशी है जो घर कर गई है