नजाने कोन सी ख़ामोशी है ये जो घर कर गई है ,
जमाना बीत गया, ट्रामे बस अब मेट्रो बन गई है ,
बड़ी सो balcony के सामने बड़ा बगीचा तो हम ने अब फिल्मो के लिए छोड़ दिया है
एक कटघरे में लगे २-४ गमलो से अपनी वादियाँ बनाली है हम ने
पर ये ख़ामोशी तब भी थी और अब भी है
बस शोर में कुछ घेहरी हो गई ये
नजाने कोन सी ख़ामोशी है जो घर कर गई है .........
उम्र जब जवान थी शायद तब वो नहीं थी या शायद थी?
बगेर इस के लगता था की कुछ बाकि है मुजमे
और इसके आने के बाद रहा ही नहीं है कुछ सिवाय उसके
जब उस रात तुम आई बारिश रुक चुकी थी
एक अजीब सा सन्नटा था वहा पे पर
तुम्हारी आवज में सुन नहीं पा रहा था
शायद तुम कुछ बोली थी .??
मेरी सिसकियो की आहट में तुम खामोश थी.......
न जाने ये कोनसी ख़ामोशी है जो घर कर गई है
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