पहेले की तरह बस
एक रोज फिर आ जाओ ,
यादो के कुछ पोधे
मुरजा रहे है उन्हें पानी दे के चली जाना.
आओ तो सरगोशी में
जो गुफ्तगू किया करते थे उन्हें साथ ले आना ,
और किताबो के पीछे रक्खी हुई उन तिरछी नजरो को
भी ले आना .
तुम भलेही बात तक
न करना मुजसे ,
में भी चुप चाप
एक कोने में जाके बेठा रहूँगा .
लेकिन तकिये से
जरा बतिया लेना ,उसे जुकाम हुआ है .
और जिस दीवार से
पीठ लगा कर तूम फोन पे बाते किया करती थी
उसे मिल लेना ,
आज कल वो बहोत अकेली पड गई है .
रसोईघर की हर एक
चीज़ मेरे खिलाफ मोरचा निकाल ने वाली है ,
उन्हें ज़रा
समजाना के में अभी नया हू , सीख जाऊंगा .
जुला , लेप्म ,
तुम्हारी वाली खुर्शी वो सब तो रूठे हुए परिवार वालो जेसे है
सामने होते है पर
बात कोई नहीं करता .
और सर्दियों वाली
रजाई निकाल के बस कुछ पल सोजाना.
इतने स्पर्श छोड़
जाना के
जो इस घर को
तुम्हारे यहाँ होने का एहसास कराये.
में तो आदत डालने
की कोशिश कर रहा हू लेकिन ,
ये घर मानने को
तैयार ही नहीं है, अगर मकान होता तो में समजा भी लेता.
इसका मन रखने के
खातिर ही सही
पहेले की तरह बस
एक रोज फिर आ जाओ......
jst Awsmm....aapke in alfazo ko aapke hi suro mai sun ne ki chah rakhte hai hum.... keep going janeman....Devanshi Yagnik....
ReplyDeleteWah bandhu..Wah..!!!
ReplyDeletetouching.. :| Niketa K.
ReplyDeletelol i hv alrdy read thz but dint knw story behind thz bt itz amezng .... :)devanshi yagnik
ReplyDeleteMaja padi!!
ReplyDeleteMaja padi!!
ReplyDeleteSuperrrbbbb....Speechlesss ... Wonderful....
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