चर्च का घंटाघर जब चीखता है सन्नाटे में,
स्ट्रीट लाइट की रोशनी जब सूरज बन के चमकती है
खून के भूखे मछ्छर रोशनी को पीने वहां मंडराते है ,
छाँव देने वाला बरगद जब राक्षस बन जाता है ,
वीरान सडक पर तेज़् सांसो की भागमभाग रहती है ,
और धीरे धीरे काला घना अँधेरा सर चड जाता है ,
उसे हम बड़ी आसानी से सिर्फ एक रात कहते है .
स्ट्रीट लाइट की रोशनी जब सूरज बन के चमकती है
खून के भूखे मछ्छर रोशनी को पीने वहां मंडराते है ,
छाँव देने वाला बरगद जब राक्षस बन जाता है ,
वीरान सडक पर तेज़् सांसो की भागमभाग रहती है ,
और धीरे धीरे काला घना अँधेरा सर चड जाता है ,
उसे हम बड़ी आसानी से सिर्फ एक रात कहते है .
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