अब लगता है के रात बहोत हो चुकी ,
beer की सारी बोत्तल अब फर्श पे अपना सर खोले पड़ी थी
और चांदनी की हालत फेकी हुई आधी जली सिगारेट के जेसी थी,
लग तो रह था की अब बस रात ख़तम होने को है
पर वो भी बड़ी कमीनी है
पिछले कुछ सालो में वो कुछ ऐसी छा गई है के
सूरज नामकी भी चीज़ होती है भूल गए है लोग
पर अब लगता है रात बहोत हो चुकी है.
बहोत हो चूका है अब अन्धकार का राज , और बहोत सह चुके रात का वार
सूरज को अब आना ही होगा ,
एक नयी चिंगारी को जलना ही होगा ,
अब तो कुछ करना ही होगा ,
इन्कलाब और क्रांति के नारों को फिर से दहाड़ना होगा
एसा कह कर एक और beer की bottal ओंधे पेट गिर पड़ी
और धुए की एक और लकीर फिर से चल पड़ी ...
लगता है के रात बहोत हो चुकी
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